Festival

Chaitra Navratra (March/April) and Ashvin Navratra (September/October)

Day One : - Maa Shailputri

माता शैलपुत्री नवरात्रि की प्रथम देवी हैं और देवी दुर्गा के पहले स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं। वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, इसलिए उन्हें “शैलपुत्री” कहा जाता है। पूर्व जन्म में वे सती थीं और पुनर्जन्म लेकर शैलपुत्री के रूप में प्रतिष्ठित हुईं।

उनका स्वरूप शांत, सौम्य और तेजस्वी है। उनका वाहन नंदी बैल है, जो धर्म और शक्ति का प्रतीक है। उनके हाथों में त्रिशूल और कमल सुशोभित होते हैं।

नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा से साधना का आरंभ होता है। इससे मूलाधार चक्र जाग्रत होता है, जिससे आत्मबल, स्थिरता और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। माता शैलपुत्री साधना की प्रथम प्रेरणा हैं, जिनकी उपासना से जीवन की आध्यात्मिक यात्रा शुरू होती है।

Day Two : - Maa Brahmacharini

माता ब्रह्मचारिणी नवरात्रि की द्वितीय देवी हैं और देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं। उनका नाम उनके तपस्विनी रूप को दर्शाता है—जो ब्रह्मज्ञान, तप और संयम की प्रतीक हैं।

वे सफेद वस्त्र पहनती हैं, दाएँ हाथ में जपमाला और बाएँ में कमंडलु धारण करती हैं। उनका स्वरूप शांत, तेजस्वी और साधनापरक है।

पूर्व जन्म में उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। इसी रूप में वे ब्रह्मचारिणी कहलाईं।

उनकी पूजा से साधक में संयम, आत्मबल और साधना की स्थिरता आती है। नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनोबल, धैर्य और आंतरिक शक्ति जाग्रत होती है।

Day Three : - Maa Chandraghanta

माता चंद्रघंटा नवरात्रि की तीसरी देवी हैं और शक्ति, साहस व सौंदर्य की प्रतीक हैं। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटा समान चमक उन्हें “चंद्रघंटा” नाम देती है।

वे स्वर्ण आभा से युक्त, दस भुजाओं वाली, सिंह पर सवार होती हैं और विभिन्न अस्त्रों से सुसज्जित रहती हैं। उनका रूप सौम्यता और वीरता का अद्भुत संगम है।

नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा से मणिपुर चक्र जाग्रत होता है, जिससे आत्मबल, साहस और नकारात्मकता पर विजय की शक्ति मिलती है।

माता चंद्रघंटा की कृपा से भय दूर होता है और भीतर छिपी शक्ति व वीरता जाग्रत होती है।

Day Fourth : - Maa Kushmanda

माता कूष्मांडा नवरात्रि की चतुर्थ देवी हैं, जिनकी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की सृष्टि हुई। “कूष्मांडा” का अर्थ है — थोड़ी सी ऊर्जा से ब्रह्मांड रचने वाली।

वे अष्टभुजा देवी हैं, जिनके हाथों में कमल, धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृतकलश, कमंडलु और जपमाला होते हैं। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और तेज का प्रतीक है।

नवरात्रि के चौथे दिन इनकी पूजा से अनाहत चक्र जाग्रत होता है, जिससे हृदय में प्रेम, करुणा और ऊर्जा का संचार होता है।

उनकी कृपा से साधक को स्वास्थ्य, दीर्घायु और आध्यात्मिक विकास प्राप्त होता है। वे सृष्टि की जननी और जीवन ऊर्जा की स्रोत हैं।

Day Fifth : - Maa Skandamata

माता स्कंदमाता नवरात्रि की पंचम देवी हैं और भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण यह नाम प्राप्त हुआ। वे मातृत्व और वीरता का अद्भुत संगम हैं।

चार भुजाओं वाली यह देवी दो हाथों में कमल, एक में बाल स्कंद और एक में आशीर्वाद मुद्रा रखती हैं। वे कमल पर विराजमान होती हैं और सिंह की सवारी करती हैं।

नवरात्रि के पाँचवें दिन इनकी पूजा से विशुद्ध चक्र जाग्रत होता है, जिससे वाणी में शुद्धता, बुद्धि में स्पष्टता और आत्मा में शांति आती है।

माता स्कंदमाता की कृपा से साधक को संतान सुख, सुरक्षा, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। वे दर्शाती हैं कि कोमलता में भी अपार शक्ति छिपी होती है।

Day Six : - Maa Katyayani

माता कात्यायनी नवरात्रि की छठी देवी हैं, जो धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए प्रकट हुईं। वे ऋषि कात्यायन के घर जन्मी थीं, इसी कारण उन्हें “कात्यायनी” कहा जाता है।

वे आठ भुजाओं वाली, सिंह पर सवार, शस्त्रधारी देवी हैं, जिनका रूप शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक है। वे लाल वस्त्र धारण करती हैं, जो ऊर्जा और आत्मबल का प्रतीक हैं।

छठे दिन इनकी पूजा से मणिपुर चक्र जाग्रत होता है, जिससे आत्मविश्वास, साहस और संकटों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

उनकी कृपा से जीवन में विजय, समृद्धि और संतुलन आता है। माता कात्यायनी सच्चे अर्थों में धर्म, शक्ति और सफलता की देवी हैं।

Day Seventh : - Maa Kalaratri

माता कालरात्रि नवरात्रि की सातवीं देवी हैं। वे अंधकार, भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली उग्र और शक्तिशाली देवी हैं। उनका काला रंग, बिखरे बाल, और भीषण रूप अज्ञान और बुराई के अंत का प्रतीक है।

वे चार भुजाओं वाली हैं, जिनमें तलवार, त्रिशूल और आशीर्वाद मुद्रा है, और उनका वाहन गधा है। उनका तेज भक्तों को सभी भय से मुक्त करता है।

सप्तमी के दिन इनकी उपासना से आज्ञा चक्र या स्वाधिष्ठान चक्र जाग्रत होता है, जिससे व्यक्ति को साहस, मानसिक शक्ति और भीतर की स्थिरता मिलती है।

माता कालरात्रि भय का अंत और भीतर की शक्ति का आरंभ हैं। उनकी कृपा से साधक निडर होकर आत्मज्ञान और शांति की ओर अग्रसर होता है।

Day Eighth : - Maa Mahagauri

माता महागौरी नवरात्रि की आठवीं देवी हैं, जिनका स्वरूप पूर्ण शांति, पवित्रता और करुणा का प्रतीक है। उनका उज्ज्वल श्वेत वर्ण, सफेद वस्त्र और बैल पर आरूढ़ रूप उन्हें “महागौरी” बनाता है – अत्यंत शुभ्र और निर्मल।

वे चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, कमल और वरमुद्रा होती है। उनकी पूजा से विशुद्ध चक्र जाग्रत होता है, जिससे मन, वाणी और कर्म में शुद्धता आती है।

अष्टमी तिथि को इनकी उपासना से पापों का नाश, जीवन में सुख-शांति और आत्मिक शुद्धता प्राप्त होती है। वे साधक को निर्मलता, करुणा और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर करती हैं।

Day Ninth : - Maa Siddhidhatri

माता सिद्धिदात्री नवरात्रि की नवमी देवी हैं और देवी दुर्गा के नवें स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं। वे सिद्धियों की दात्री हैं — अर्थात् सभी प्रकार की सिद्धियाँ और दिव्य शक्तियाँ प्रदान करने वाली देवी। उनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी, शांत और दिव्य है।

वे आठ भुजाओं से युक्त हैं, जिनमें गदा, शंख, चक्र, कमल, त्रिशूल आदि दिव्य अस्त्र सुशोभित होते हैं। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति, साहस और नियंत्रण का प्रतीक है। वे साधकों को भय, बाधा और अज्ञान से मुक्ति देती हैं तथा आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर अग्रसर करती हैं।

नवरात्रि के नवें दिन इनकी पूजा की जाती है, जिससे सहस्रार चक्र जाग्रत होता है। इससे साधक को उच्च आध्यात्मिक अनुभव, मानसिक शांति, दिव्यता और आंतरिक पूर्णता प्राप्त होती है।

माता सिद्धिदात्री की कृपा से जीवन में सफलता, संतुलन, सिद्धि और आत्मबोध का प्रकाश फैलता है। वे भक्तों को परम लक्ष्य की ओर मार्गदर्शन देती हैं।

Note : ज्येष्ठ महीने में अच्छी बारिश की कामना के साथ पूरे देबारी गांव में माताजी की पूजा की जाती है। यह पूजा हर साल 15 जून के आसपास संपन्न होती है।